समझ –स्वरूप व स्वभाव की–२
जितनी ऊंची आपकी चेतना है आपके जीवन में उतना ही सुख आ सकता है
दुख को आकर्षित करने के लिए अधिक जीवन ऊर्जा की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि दुख और नकारात्मकता तमोगुण प्रधान हैं तमोगुण का स्वभाव जड़ता है सक्रियता नहीं, इसलिए जब न्यूनतम जीवन ऊर्जा होगी तो व्यक्ति नकारात्मकता और दुख को आकर्षित करेगा और जीवन ऊर्जा की बढ़ी हुई स्थिति व्यक्ति को सतोगुण अर्थात- आनंद और स्थाई सुख की ओर ले कर जाएगी...
अब आपको किस तल पर जीवन जीना है यह सदा आपका अपना निर्णय होता है, शुभ कार्यों, विचारों और वृत्ति का निरंतर अभ्यास आपके तमोगुणी स्वभाव को समाप्त कर आपको जीवन ऊर्जा से भरता है और इस जीवन ऊर्जा से आपके मन की अवस्था ऊंची होती जाती है और जैसा कि हमने कहा जितनी ऊंची मन की अवस्था उतना ही जीवन में सुख होगा
अतः शुभ और कल्याणकारी कार्यों का अभ्यास, चिंतन, मनन, सत्संग और गुरु का मार्गदर्शन ही आपको आंतरिक तल पर आनंदित, समृद्ध, सुखी बना सकता है
Sona_mehta
20-Jan-2024 03:18 PM
👌👌
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Zakirhusain Abbas Chougule
14-Dec-2022 09:07 PM
Nice
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Haaya meer
09-Dec-2022 08:34 PM
Superb 👍
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